विकास: कांक्रीट का जंगल
“परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है।“ और हम जिस समाज में रहते है, वह निरंतर विकास और प्रगति की ओर बढ़ रहा है। कांक्रीट
के जंगल, यानी शहरीकरण और आधुनिक बुनियादी ढाँचे का विकास,
इस प्रगति का ही प्रतीक है।
मैं आपका ध्यान इस ओर विशेष रूप से आकर्षित
करना चाहती हूँ कि वर्तमान समय में कांक्रीट के जंगल ही विकास का आधार है। शहरो में
इमारतें, सड़के, पुल और अन्य बुनियादी ढाँचे बनाकर हम रोजगार के अनेक रास्ते खोलते हैं। यह न केवल निर्माण क्षेत्र में नौकरियाँ प्रदान
करते हैं, बल्कि व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी और अन्य
सेवाओं के लिए भी संभावनाओं के विभिन्न द्वार खोलते हैं।
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और समाज की संरचना एक-दूसरे के सहयोग पर टिकी होती है। तो
शहरीकरण इस सामाजिक परिभाषा को पूर्णतया परिभाषित करता है। आज
शहरों में लोग एक-दूसरे के साथ अपने संसाधनों को
प्रेम से बांटते हैं। साथ मिल नई तकनीक खोजकर अपना व दूसरो का जीवन आसान बनाते
हैं।
ध्यान दीजिएगा, ये विकास के मार्ग
ही आधुनिक जीवन की सुविधाएँ प्रदान करते हैं। शहरी क्षेत्रों में हमे शिक्षा,
स्वास्थ्य, मनोरंजन और अन्य मूलभूत सुविधाएँ आसानी से उपलब्ध होती हैं।
बड़े शहरों में उच्च शिक्षा के प्रतिष्ठान, सुपर स्पेशियलिटि
अस्पताल और अत्याधुनिक परिवहन सुविधाएँ होती हैं जो
ग्रामीण क्षेत्रों में दुर्लभ हैं।
इस बात से तो आप अनभिज्ञ नहीं होगे कि आज ये कंक्रीट के जंगल
ही तकनीकी और वैज्ञानिक उन्नति को बढ़ावा देते है। शहरों में बड़े- बड़े अनुसंधान
केंद्र, तकनीकी पार्क और उद्योग स्थापित होते हैं, जो नवाचार और
अनुसंधान को बढ़ावा देते हैं। यह वैज्ञानिक उन्नति हमारी जीवन शैली को बेहतर बनाती
है और हमें वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बनाए रखती है।
हमें यह भी समझना होगा कि कंक्रीट के जंगल
सामाजिक और सांस्कृतिक विकास के भी केंद्र होते हैं। शहरों में विभिन्न संस्कृतियों
और समुदायों के लोग एकसाथ रहते हैं जिससे सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा
मिलता है। यह विविधता हमें एक समृध्द और परिष्कृत समाज की ओर ले जाती है।
कांक्रीट के जंगल हमारे
देश और समाज के लिए अनिवार्य हैं। ये आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रगति के प्रमुख साधन है, जो हमें एक समृध्द्ध और विकसित भविष्य की ओर ले
जाते हैं।
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